Saturday, October 22, 2011

मधुशाला जैसी मधुशाला

बच्चन जी से प्रेरित
मेरे मन के भावों को उजागर करती
जिस हाला की चाह में है तू
जिसके प्यास में आवारा;
जिस प्याले के पावन संग को
हाय बना तू बेचारा!
जिस साकी के गम में है तू
फिरता बन के मतवाला;
आज ले कहती हूँ मैं तुझसे
बनी मैं तेरी मधुशाला!
xxx

तेरे संग का रस्ता देखूं
तेरे प्रेम की प्यासी हूँ;
थी रानी मैं तेरे दिल की
आज बनी मैं दासी हूँ;
तेरी साकी, तेरी प्याली,
तेरी ही थी मैं हाला;
थी तेरे संग ही मैं पूरी
आज अधूरी मधुशाला!
धृष्टता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ बच्चन जी

Live Life King Size

Make the most of now. And, remember that life is too short to be mad at something or someone.