बच्चन जी से प्रेरित
मेरे मन के भावों को उजागर करती
जिस हाला की चाह में है तू
जिसके प्यास में आवारा;
जिस प्याले के पावन संग को
हाय बना तू बेचारा!
जिस साकी के गम में है तू
फिरता बन के मतवाला;
आज ले कहती हूँ मैं तुझसे
बनी मैं तेरी मधुशाला!
xxx
तेरे संग का रस्ता देखूं
तेरे संग का रस्ता देखूं
तेरे प्रेम की प्यासी हूँ;
थी रानी मैं तेरे दिल की
आज बनी मैं दासी हूँ;
तेरी साकी, तेरी प्याली,
तेरी ही थी मैं हाला;
थी तेरे संग ही मैं पूरी
आज अधूरी मधुशाला!
धृष्टता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ बच्चन जी
interesting!
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